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तमाम कैफ़ ख़मोशी तमाम नग़्म-ए-साज़ / फ़िराक़ गोरखपुरी तमाम कैफ़ ख़मोशी तमाम नग़्म-ए-साज़ नवा-ए-राज़ है ऐ दोस्त या तेरी आवाज़ मेरी ग़ज़ल में मिलेगा तुझे वो आलमे-राज़ जहां हैं एक अज़ल ...