लेखनी कविता -सितारों से उलझता जा रहा हूँ - फ़िराक़ गोरखपुरी

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सितारों से उलझता जा रहा हूँ / फ़िराक़ गोरखपुरी सितारों से उलझता जा रहा हूँ शब-ए-फ़ुरक़त बहुत घबरा रहा हूँ तेरे ग़म को भी कुछ बहला रहा हूँ जहाँ को भी ...

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