लेखनी कविता -बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं - फ़िराक़ गोरखपुरी

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बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं / फ़िराक़ गोरखपुरी  गुले-नग़मा » बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं तुझे ऐ ज़िन्दगी, हम दूर से ...

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