लेखनी कविता - ग़ैर क्या जानिये क्यों मुझको बुरा कहते हैं - फ़िराक़ गोरखपुरी

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ग़ैर क्या जानिये क्यों मुझको बुरा कहते हैं / फ़िराक़ गोरखपुरी गैर क्या जानिये क्यों मुझको बुरा कहते हैं आप कहते हैं जो ऐसा तो बज़ा कहते हैं वाकई तेरे इस ...

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