लेखनी कविता -मौत इक गीत रात गाती थी - फ़िराक़ गोरखपुरी

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मौत इक गीत रात गाती थी / फ़िराक़ गोरखपुरी मौत इक गीत रात गाती थी ज़िन्दगी झूम झूम जाती थी कभी दीवाने रो भी पडते थे कभी तेरी भी याद आती ...

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