लेखनी कविता - मुझको मारा है हर एक दर्द-ओ-दवा से पहले - फ़िराक़ गोरखपुरी

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मुझको मारा है हर एक दर्द-ओ-दवा से पहले / फ़िराक़ गोरखपुरी मुझको मारा है हर इक दर्द-ओ-दवा से पहले दी सज़ा इश्क ने हर ज़ुर्म-ओ-खता से पहले आतिश-ए-इश्क भडकती है हवा ...

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