लेखनी कविता -सकूत-ए-शाम मिटाओ बहुत अंधेरा है - फ़िराक़ गोरखपुरी

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सकूत-ए-शाम मिटाओ बहुत अंधेरा है / फ़िराक़ गोरखपुरी सकूत-ए-शाम मिटाओ बहुत अंधेरा है सुख़न की शमा जलाओ बहुत अंधेरा है दयार-ए-ग़म में दिल-ए-बेक़रार छूट गया सम्भल के ढूढने जाओ बहुत अंधेरा ...

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