72 Part
61 times read
0 Liked
सकूत-ए-शाम मिटाओ बहुत अंधेरा है / फ़िराक़ गोरखपुरी सकूत-ए-शाम मिटाओ बहुत अंधेरा है सुख़न की शमा जलाओ बहुत अंधेरा है दयार-ए-ग़म में दिल-ए-बेक़रार छूट गया सम्भल के ढूढने जाओ बहुत अंधेरा ...