लेखनी कविता -ये निकहतों की नर्म रवी, ये हवा ये रात - फ़िराक़ गोरखपुरी

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ये निकहतों की नर्म रवी, ये हवा ये रात / फ़िराक़ गोरखपुरी ये निकहतों कि नर्म रवी, ये हवा, ये रात याद आ रहे हैं इश्क़ के टूटे तआ ल्लुक़ात मासूमियों ...

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