लेखनी कविता -छलक के कम न हो ऐसी कोई शराब नहीं - फ़िराक़ गोरखपुरी

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छलक के कम न हो ऐसी कोई शराब नहीं / फ़िराक़ गोरखपुरी छ्लक के कम न हो ऐसी कोई शराब नहीं निगाहे-नरगिसे-राना, तेरा जवाब नहीं ज़मीन जाग रही है कि इन्क़लाब ...

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