लेखनी कविता -हर जलवे से एक दरस-ए-नुमू लेता हूँ - फ़िराक़ गोरखपुरी

72 Part

53 times read

0 Liked

हर जलवे से एक दरस-ए-नुमू लेता हूँ / फ़िराक़ गोरखपुरी हर जलवे से एक दरस-ए-नुमू लेता हूँ लबरेज़ कई जाम-ओ-सुबू लेता पड़ती है जब आँख तुझपे ऐ जान-ए-बहार संगीत की सरहदों ...

Chapter

×