लेखनी कविता -न जाने अश्क से आँखों में क्यों है आये हुए - फ़िराक़ गोरखपुरी

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न जाने अश्क से आँखों में क्यों है आये हुए / फ़िराक़ गोरखपुरी न जाने अश्क से आँखों में क्यों है आये हुए गुज़र गया ज़माना तुझे भुलाये हुए जो मन्ज़िलें ...

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