लेखनी कविता - किस तरफ़ से आ रही है - फ़िराक़ गोरखपुरी

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किस तरफ़ से आ रही है / फ़िराक़ गोरखपुरी किस तरफ़ से आ रही है आज पैहम बू-ए-दोस्त. ऐ सबा,बिखरे हैं किस अन्दाज़ से गेसू-ए दोस्त. कुछ न पूछ ऐ हमनशीं,रुदादे-रंगो-बू-ए-दोस्त. ...

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