लेखनी कविता -जो मंसबो के पुजारी पहन के आते हैं।

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जो मंसबो के पुजारी पहन के आते हैं। जो मंसबो के पुजारी पहन के आते हैं। कुलाह तौक से भारी पहन के आते है। अमीर शहर तेरे जैसी क़ीमती पोशाक  मेरी ...

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