लेखनी कविता - उँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करो

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उँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करो  उँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करो  खर्च करने से पहले कमाया करो  ज़िन्दगी क्या है खुद ही समझ जाओगे बारिशों में पतंगें उड़ाया ...

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