लेखनी कविता - अँधेरे चारों तरफ़ सायं-सायं करने लगे

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अँधेरे चारों तरफ़ सायं-सायं करने लगे अँधेरे चारों तरफ़ सायं-सायं करने लगे चिराग़ हाथ उठाकर दुआएँ करने लगे  तरक़्क़ी कर गए बीमारियों के सौदागर  ये सब मरीज़ हैं जो अब दवाएँ ...

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