लेखनी कविता - अगर ख़िलाफ़ हैं होने दो जान थोड़ी है

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अगर ख़िलाफ़ हैं होने दो जान थोड़ी है  अगर ख़िलाफ़ हैं होने दो जान थोड़ी है  ये सब धुआँ है कोई आसमान थोड़ी है  लगेगी आग तो आएँगे घर कई ज़द ...

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