लेखनी कविता - समन्दरों में मुआफिक हवा चलाता है

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समन्दरों में मुआफिक हवा चलाता है समन्दरों में मुआफिक हवा चलाता है जहाज़ खुद नहीं चलते खुदा चलाता है ये जा के मील के पत्थर पे कोई लिख आये वो हम ...

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