ग़ज़ल

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1222 1222 1222  शिफ़ा गम , हिज्र और तन्हाई चलती हैं हमारे साथ क्यूँ रुसवाई चलती है झगड़ कर थक चुके हैं यार हम दोनों हमारे बीच अब  तन्हाई चलती हैं।। ...

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