लेखनी कविता - उसकी कत्थई आँखों में हैं जंतर-मंतर सब

44 Part

83 times read

0 Liked

उसकी कत्थई आँखों में हैं जंतर-मंतर सब उसकी कत्थई आँखों में हैं जंतर-मंतर सब चाक़ू-वाक़ू, छुरियाँ-वुरियाँ, ख़ंजर-वंजर सब जिस दिन से तुम रूठीं मुझ से रूठे-रूठे हैं चादर-वादर, तकिया-वकिया, बिस्तर-विस्तर सब ...

Chapter

×