लेखनी कविता - गज़ल

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शहर में ढूंढ रहा हूँ कि सहारा दे दे| कोई हातिम जो मेरे हाथ में कासा दे दे| पेड़ सब नगेँ फ़क़ीरों की तरह सहमे हैं, किस से उम्मीद ये की ...

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