लेखनी कविता - गज़ल

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आँख प्यासी है कोई मन्ज़र दे, इस जज़ीरे को भी समन्दर दे| अपना चेहरा तलाश करना है, गर नहीं आइना तो पत्थर दे| बन्द कलियों को चाहिये शबनम,  इन चिराग़ों में ...

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