लेखनी कविता - गज़ल

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दोस्ती जब किसी से की जाये|  दुश्मनों की भी राय ली जाये|  मौत का ज़हर है फ़िज़ाओं में,  अब कहाँ जा के साँस ली जाये|  बस इसी सोच में हूँ डूबा ...

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