लेखनी कविता - गज़ल

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चेहरे की धूप की गहराई ले गए| आईना सारे शहर की बीनाई ले गए| डूबे जहाज पे क्या तब्सरा करें, ये हादसा तो सोच की गहराई में ले गया| हालांकि बेज़ुबान ...

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