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गज़ल दिलों में आग लबों पर गुलाब रखते हैं सब अपने चेहरों पे दोहरी नका़ब रखते हैं हमें चराग समझ कर बुझा न पाओगे हम अपने घर में कई आफ़ताब रखते ...