लेखनी कविता - गज़ल

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गज दिल जलाया तो अंजाम क्या हुआ मेरा लिखा है तेज हवाओं ने मर्सिया मेरा कहीं शरीफ नमाज़ी कहीं फ़रेबी पीर कबीला मेरा नसब मेरा सिलसिला मेरा किसी ने जहर कहा ...

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