44 Part
80 times read
0 Liked
गज़ल सारी बस्ती क़दमों में है, ये भी इक फ़नकारी है वरना बदन को छोड़ के अपना जो कुछ है सरकारी है कालेज के सब लड़के चुप हैं काग़ज़ की इक ...