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गज़ल किसी आहू के लिये दूर तलक मत जाना शाहज़ादे कहीं जंगल में भटक मत जाना इम्तहां लेंगे यहाँ सब्र का दुनिया वाले मेरी आँखों ! कहीं ऐसे में चलक मत ...