लेखनी कविता - गज़ल

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गज़ल तू शब्दों का दास रे जोगी तेरा कहाँ विश्वास रे जोगी इक दिन विष का प्याला पी जा फिर न लगेगी प्यास रे जोगी ये सांसों का का बन्दी जीवन ...

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