लेखनी कविता - गज़ल

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गज़ल धोका मुझे दिये पे हुआ आफ़ताब का ज़िक्रे-शराब में भी है नशा शराब का जी चाहता है बस उसे पढ़ते ही जायें चेहरा है या वर्क है खुदा की किताब ...

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