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गज़ल अजनबी ख्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ ऐसे जिद्दी हैं परिंदे के उड़ा भी न सकूँ फूँक डालूँगा किसी रोज ये दिल की दुनिया ये तेरा खत तो नहीं ...