लेखनी कविता - गज़ल

44 Part

74 times read

0 Liked

गज़ल ये ज़िन्दगी सवाल थी जवाब माँगने लगे फरिश्ते आ के ख़्वाब मेँ हिसाब माँगने लगे इधर किया करम किसी पे और इधर जता दिया नमाज़ पढ़के आए और शराब माँगने ...

Chapter

×