लेखनी कविता - गज़ल

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गज़ल मौका है इस बार, रोज़ मना त्यौहार, अल्लाह बादशाह  अपनी है सरकार, सातों दिन इतवार, अल्लाह बादशाह  तेरी ऊँची ज़ात, लश्कर तेरे साथ, तेरे सौ सौ हाथ  तू भी है ...

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