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लोकगीत-✍️उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट कोरोना फिरि फैलि रहो है, बाने देखौ केते मारे काम नाय कछु होय फिरउ तौ, निकरंगे घरि से बहिरारे। मुँह पै कपड़ा नाय लगाबैं, केते होंय रोड पै ...