पुरुष

1 Part

301 times read

22 Liked

पुरुष प्रतियोगिता के लिये ईश्वर की कृति श्रेष्ठ अनुपम, अवयव से सुदृढ़ तन सौष्ठव। भाव पुंज निज हृदय कुंज, संचित रखता शौर्य प्रबल। कहते हैं  जीव दृढ़ी उसको, कष्ट जिसे नहीं ...

×