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⭐ कविता = इश्तहार प्यार तो इश्तहार हुआ ! चमड़ी का बाज़ार हुआ !! लैला-मजनू हीर-राँझा ! जुमलों में शुमार हुआ, !! ये रिश्ता जो था पावन ! आज क्यों दाग़दार ...