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मोर न होगा ...उल्लू होंगे / नागार्जुन नागार्जुन ने यह कविता आपातकाल के प्रतिवाद में लिखी थी। ख़ूब तनी हो, ख़ूब अड़ी हो, ख़ूब लड़ी हो प्रजातंत्र को कौन पूछता, तुम्हीं ...