लेखनी कविता - सच न बोलना - नागार्जुन

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सच न बोलना / नागार्जुन  हज़ार-हज़ार बाहों वाली » मलाबार के खेतिहरों को अन्न चाहिए खाने को, डंडपाणि को लठ्ठ चाहिए बिगड़ी बात बनाने को! जंगल में जाकर देखा, नहीं एक ...

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