लेखनी कविता - अकाल और उसके बाद - नागार्जुन

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अकाल और उसके बाद / नागार्जुन कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त ...

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