लेखनी कविता - मेरी भी आभा है इसमें - नागार्जुन

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मेरी भी आभा है इसमें / नागार्जुन नए गगन में नया सूर्य जो चमक रहा है यह विशाल भूखंड आज जो दमक रहा है मेरी भी आभा है इसमें भीनी-भीनी खुशबूवाले ...

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