लेखनी कविता - अग्निबीज - नागार्जुन

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अग्निबीज / नागार्जुन अग्निबीज तुमने बोए थे रमे जूझते, युग के बहु आयामी सपनों में, प्रिय खोए थे ! अग्निबीज तुमने बोए थे तब के वे साथी क्या से क्या हो ...

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