लेखनी कविता - भोजपुर - नागार्जुन

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भोजपुर / नागार्जुन 1 यहीं धुआँ मैं ढूँढ़ रहा था यही आग मैं खोज रहा था यही गंध थी मुझे चाहिए बारूदी छर्रें की खुशबू! ठहरो–ठहरो इन नथनों में इसको भर ...

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