लेखनी कविता - इन घुच्ची आँखों में - नागार्जुन

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इन घुच्ची आँखों में / नागार्जुन क्या नहीं है इन घुच्ची आँखों में इन शातिर निगाहों में मुझे तो बहुत कुछ प्रतिफलित लग रहा है! नफरत की धधकती भट्टियाँ... प्यार का ...

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