लेखनी कविता - तन गई रीढ़ - नागार्जुन

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तन गई रीढ़ / नागार्जुन झुकी पीठ को मिला किसी हथेली का स्पर्श तन गई रीढ़ महसूस हुई कन्धों को पीछे से, किसी नाक की सहज उष्ण निराकुल साँसें तन गई ...

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