लेखनी कविता - यह तुम थीं - नागार्जुन

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यह तुम थीं / नागार्जुन कर गई चाक तिमिर का सीना जोत की फाँक यह तुम थीं सिकुड़ गई रग-रग झुलस गया अंग-अंग बनाकर ठूँठ छोड़ गया पतझार उलंग असगुन-सा खड़ा ...

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