लेखनी कविता - सोनिया समन्दर - नागार्जुन

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सोनिया समन्दर / नागार्जुन सोनिया समन्दर सामने लहराता है जहाँ तक नज़र जाती है, सोनिया समन्दर ! बिछा है मैदान में सोन ही सोना सोना ही सोना सोना ही सोना गेहूँ ...

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