लेखनी कविता - बादल भिगो गए रातोंरात - नागार्जुन

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बादल भिगो गए रातोंरात / नागार्जुन मानसून उतरा है जहरी खाल की पहाड़ियों पर बादल भिगो गए रातोंरात सलेटी छतों के कच्चे-पक्के घरों को प्रमुदित हैं गिरिजन सोंधी भाप छोड़ रहे ...

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