लेखनी कविता - यह दंतुरित मुसकान - नागार्जुन

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यह दंतुरित मुसकान / नागार्जुन तुम्हारी यह दंतुरित मुस्कान मृतक में भी डाल देगी जान धूली-धूसर तुम्हारे ये गात... छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल रहे जलजात परस पाकर तुम्हारी ही ...

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