लेखनी कविता - विज्ञापन सुंदरी - नागार्जुन

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विज्ञापन सुंदरी / नागार्जुन रमा लो मांग में सिन्दूरी छलना... फिर बेटी विज्ञापन लेने निकलना... तुम्हारी चाची को यह गुर कहाँ था मालूम! हाथ न हुए पीले विधि विहित पत्नी किसी ...

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