लेखनी कविता - नया तरीका - नागार्जुन

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नया तरीका / नागार्जुन  हज़ार-हज़ार बाहों वाली » दो हज़ार मन गेहूँ आया दस गाँवों के नाम राधे चक्कर लगा काटने, सुबह हो गई शाम सौदा पटा बड़ी मुश्किल से, पिघले ...

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