लेखनी कविता - नाहक ही डर गई, हुज़ूर - नागार्जुन

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नाहक ही डर गई, हुज़ूर / नागार्जुन  हज़ार-हज़ार बाहों वाली » भुक्खड़ के हाथों में यह बन्दूक कहाँ से आई एस० डी० ओ० की गुड़िया बीबी सपने में घिघियाई बच्चे जागे, ...

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